बिहार में क्राइम कंट्रोल के लिए ड्रोन पुलिस यूनिट जल्द होगी सक्रिय

बिहार में क्राइम कंट्रोल के लिए ड्रोन पुलिस यूनिट जल्द होगी सक्रिय

 बिहार। में अपराधियों पर शिकंजा कसने और अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अब हाई-टेक ड्रोन तकनीक का सहारा लिया जाएगा। राज्य सरकार जल्द ही ‘ड्रोन पुलिस यूनिट’ स्थापित करने जा रही है, जिससे कानून-व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा। खासकर शराब और बालू तस्करी, ट्रैफिक नियंत्रण और छापेमारी अभियानों में ड्रोन अहम भूमिका निभाएंगे। इस यूनिट की नोडल एजेंसी एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) होगी।पुलिस मुख्यालय के अनुसार, ड्रोन यूनिट के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह यूनिट एक विशेष एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) के तहत काम करेगी। बिहार पुलिस इसे तैयार करने के लिए तमिलनाडु, उत्तराखंड पुलिस और भारतीय वायुसेना से सहयोग ले रही है। चेन्नई पुलिस पहले ही इस तरह की यूनिट लॉन्च कर चुकी है, और अब बिहार भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।

ड्रोन पुलिस यूनिट कैसे करेगी काम?
  1. अपराधियों। की निगरानी होगी आसान – हाई-रेजोल्यूशन कैमरों से लैस ड्रोन अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखेंगे, जिससे उनकी पहचान और ट्रैकिंग आसान होगी।शराब और बालू तस्करी पर रोक – दूरदराज और दुर्गम इलाकों में ड्रोन से रेकी कर अवैध कारोबार पर नजर रखी जाएगी।छापेमारी अभियानों में मदद – संदिग्ध इलाकों में पहले ड्रोन भेजकर पुलिस को सही लोकेशन और स्थिति की जानकारी मिलेगी।ट्रैफिक नियंत्रण में सुधार – ड्रोन ऊंचासेट्रैफिक मूवमेंट पर नजर रखकर ट्रैफिक जाम और अन्य समस्याओं को हल करने में मदद करेंगे।भीड़ और हिंसा पर नियंत्रण – किसी भी असामान्य हलचल या हिंसा की संभावना पर ड्रोन तुरंत अलर्ट जारी करेंगे।एआई से लैस सुरक्षा प्रणाली – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से संभावित खतरों की पहचान और भीड़ प्रबंधन किया जाएगा।कम संसाधनों में अधिक प्रभावड्रोनकेउपयोग से पुलिस ऑपरेशन अधिक प्रभावी होंगे और मैनपावर की जरूरत कम होगी।ड्रोन पुलिस यूनिट में शामिल पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। बिहार पुलिस अलग-अलग वजन के ड्रोन के लिए लाइसेंस भी लेगी। फिलहाल, दियारा क्षेत्र में अवैध शराब निर्माण और बालू खनन रोकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा हड्रोन की श्रेणियां और संचालन क्षमताड्रोन के चार प्रकार – नैनो, माइक्रो, मध्यम और बड़े ड्रोन।संचालन क्षमता – ये ड्रोन ग्राउंड स्टेशन से 5 से 10 किलोमीटर तक संचालित किए जा सकते हैं।तीन प्रमुख श्रेणियां – त्वरित प्रतिक्रिया निगरानी ड्रोन, हैवी लिफ्ट मल्टीरोटर ड्रोन, लॉन्ग रेंज सर्वे विंग प्लेन।

 

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BIHAR - JHARKHAND

 मैं पिछले 7 वर्षों से बिहार और झारखंड में पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हूँ। इस दौरान, मैंने पत्रकारिता के हर पहलू को गहराई से समझा है और इस क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है। बिहार और झारखंड की सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक घटनाओं पर गहरी नजर रखते हुए, मैंने इन दोनों राज्यों के विभिन्न मुद्दों को उजागर करने और लोगों तक सही और प्रामाणिक जानकारी पहुँचाने का प्रयास किया है।पत्रकारिता के इस सफर में, मैंने कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन हर बार मैंने उन्हें एक अवसर के रूप में लिया और अपने कार्य को न केवल एक जिम्मेदारी बल्कि एक सेवा के रूप में निभाया है। मेरा लक्ष्य हमेशा से ही यही रहा है कि जनता को सत्य और निष्पक्ष खबरें प्रदान की जाएं, ताकि वे जागरूक और सूचित रहें। मैंने इस दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाओं को कवर किया है, और अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की है। 

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