बिहार के औरंगाबाद जैसे अति नक्सल प्रभावित जिले के एक छोटे से प्रखंड बारूण से 25 दिसम्बर 1998 को एक सोच ने जन्म लिया। इस सोच के जन्मदाता श्रीराम अम्बष्ट थे। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ में भागेदारी निभाने हेतु श्रीराम अम्बष्ट ने एक अखबार की शुरूआत की। अखबार का नाम सोन वर्षा वाणी रखा गया। अपर्याप्त संसाधनों के बगैर बारूण जैसे छोटे प्रखंड से दैनिक अखबार निकालना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। मगर अपनी लगन, मेहनत एवं दृढ संकल्पता से श्रीराम अम्बष्ट ने अपने अखबार को एक नया आयाम दिया। वर्तमान में सोन वर्षा वाणी मगध प्रक्षेत्र का लोकप्रिय आंचलिक अखबार है एवं सूबे के प्रतिष्ठित आंचलिक दैनिक अखबारों की सूची में शुमार है। भारत सरकार के विज्ञापन दृश्य एवं प्रचार निदेशालय (डी.ए.वी.पी) एवं बिहार राज्य सरकार के पीआरडी द्वारा मान्यता प्राप्त इस अखबार की 79,895 प्रतियां प्रतिदिन प्रकाशित होती हैं। सोन वर्षा वाणी केन्द्र सरकार के डीएवीपी, राज्य सरकार के पीआरडी, रेलवे, सेल, एनटीपीसी, कर्मचारी राज्य बीमा निगम आदि के स्वीकृत विज्ञापन सूची में शामिल है। 12 पन्नों के अखबार में 10 पृष्ठ श्वेत-श्याम एवं दो पृष्ठ (प्रथम और अंतिम) रंगीन के साथ यह अखबार बिहार एवं झारखंड के विभिन्न जिलों में कदम रख चुका है। वर्तमान में इसके 3 संस्करण हैं- औरंगाबाद, पटना एवं आरा। हम सोन वर्षा वाणी परिवार गौरवांवित महसूस करते हैं कि हमने लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले ‘प्रेस’ में मजबूती से भागीदारी निभाई है। हम सदैव निर्भीकता एवं निष्पक्षता से अखबार सम्प्रेषित करने का प्रण लेते हैं। हम अपने संवाददाताओं, कर्मचारीगण विज्ञापनदाताओं एवं पाठकों के शुक्रगुजार हैं जो 20 सालों से हमारा साथ देते आ रहें हैं और उम्मीद है कि आगे भी इसी तरह का साथ देते रहेंगे।