औरंगाबाद। जिले में स्वास्थ्य विभाग ने बड़ और बढ़ियां कार्रवाई करते हुए अवैध रूप से चल रहे कई क्लिनिकों पर शिकंजा कसा। सदर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. श्याम की अगुवाई में गठित टीम ने जैन धर्मशाला के पास स्थित अपोलो क्लिनिक सहित कई अस्पतालों की गहन जांच की। टीम के पहुंचते ही अपोलो क्लिनिक में मौजूद चिकित्सक और स्टाफ मौके से भाग निकले, जबकि अंदर कई मरीज भर्ती मिले, जिनका हाल ही में ऑपरेशन किया गया था। यह नजारा स्वास्थ्य सेवा की गंभीर अनदेखी को उजागर करता है।
सिटी अस्पताल और अन्य केंद्रों में भी मिली खामियां
जांच के दौरान सिटी अस्पताल में डॉ. आर एस गुप्ता का बोर्ड तो लगा था, लेकिन वह स्वयं अस्पताल में मौजूद नहीं थे। वहां रजिस्ट्रेशन के कागजात तो दिखाए गए, मगर अस्पताल में गंदगी फैली थी। खासकर ऑपरेशन थिएटर की स्थिति काफी खराब पाई गई और वहां आवश्यक स्वास्थ्य मानकों का पालन नहीं किया गया था।वहीं साक्षी डायग्नोस्टिक के पास एक अन्य अस्पताल में कोई नाम या बोर्ड नहीं मिला। इसके बावजूद वहां भी ऑपरेशन किए गए मरीज भर्ती थे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि अस्पताल बिना पहचान के अवैध रूप से संचालित हो रहा था।रमेश चौक के पास स्थित डॉ. नीलम चौधरी का क्लिनिक जांच में सही पाया गया और उसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली। जबकि डॉ. अर्चना कुमारी के क्लिनिक में ओपीडी बंद था और कोई मरीज भर्ती नहीं मिला। उनका क्लिनिक फिलहाल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में है, इसलिए उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
डीएम के आदेश पर हुई कार्रवाई, क्लीनिकों को भेजा गया शॉ कॉज नोटिस
स्वास्थ्य विभाग की यह पूरी कार्रवाई औरंगाबाद के जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के निर्देश पर की गई। खास बात यह रही कि जिन क्लिनिकों में अनियमितताएं पाई गईं, वे सदर अस्पताल से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि अब तक इन क्लिनिकों पर नजर क्यों नहीं डाली गई।डॉ. श्याम ने बताया कि अवैध क्लिनिकों पर लगातार छापेमारी की जा रही है और जहां गड़बड़ी मिली है, वहां के संचालकों को कारण बताओ (शॉ कॉज) नोटिस भेजा गया है। चूंकि कई क्लिनिकों में मरीज भर्ती थे, इसलिए उन्हें फिलहाल सील नहीं किया गया। वरीय अधिकारियों से निर्देश मिलने के बाद आगे की सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जनस्वास्थ्य के लिए खतरा बने अवैध क्लिनिक
यह कार्रवाई जहां आम लोगों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी थी, वहीं यह भी दर्शाता है कि किस तरह से अवैध क्लिनिक स्वास्थ्य मानकों की धज्जियां उड़ाकर इलाज कर रहे हैं। ऐसे क्लिनिक न केवल मरीजों की जान को जोखिम में डालते हैं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की साख को भी कमजोर करते हैं।स्वास्थ्य विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि आने वाले दिनों में और भी सघन जांच अभियान चलाए जाएंगे और जो भी क्लिनिक बिना पंजीकरण, उचित सुविधाओं या डॉक्टरों की मौजूदगी के चल रहे हैं, उन पर कठोर कदम उठाए जाएंगे