नालंदा। मौसम की बेरुखी ने एक बार फिर किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। नालंदा जिले में गुरुवार की शाम आई तेज आंधी और बारिश ने भारी तबाही मचाई। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे सैकड़ों किसानों को गहरा झटका लगा है। प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के 20 में से 10 प्रखंडों की 96 पंचायतें इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ चुकी हैं।बताया जा रहा है कि गेहूं, मक्का, प्याज, पान, हरी सब्जी, आम, चीना, मूंगफली समेत कई प्रकार की फसलें तेज हवाओं और बारिश की वजह से चौपट हो गई हैं। खेतों में पानी भर गया है और खड़ी फसलें जमीन पर गिर गई हैं।घटना के तुरंत बाद जिला कृषि विभाग की टीम हरकत में आ गई। शुक्रवार सुबह से ही कृषि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर फसलों की क्षति का आकलन कर रहे हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट कृषि निदेशालय को भेज दी गई है, हालांकि विभाग का कहना है कि सर्वे अभी जारी है और क्षति का आंकड़ा और बढ़ सकता है।
सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र
जिले के बिहारशरीफ प्रखंड को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां 21 पंचायतों में गेहूं, मक्का, चीना, मूंगफली और बागवानी फसलों को भारी क्षति पहुंची है।
नूरसराय प्रखंड की 17 पंचायतों में गेहूं और मक्का की फसलें बुरी तरह नष्ट हो गई हैं।
एकंगरसराय प्रखंड की 11 पंचायतों में मक्का की फसल पूरी तरह से चौपट हो चुकी है।
रहुई की 16, सिलाव की 10, थरथरी की 7 पंचायतों में प्याज और मक्का की बर्बादी की सूचना है।
इसके अलावा इस्लामपुर की 3 पंचायतों और राजगीर की 1 पंचायत में पान के बरेजे बुरी तरह से उजड़ गए हैं।
किसानों को मिलेगा मुआवजा, जल्द खुलेगा आवेदन
प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने मुआवजे का एलान किया है। जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि एक वर्षीय फसलों के लिए प्रति हेक्टेयर 13,500 रुपये तथा बहुवर्षीय फसलों के लिए 18,000 रुपये का मुआवजा देने का प्रावधान है। जैसे ही फाइनल सर्वे रिपोर्ट बनेगी, उसे मुख्यालय भेजा जाएगा और फिर मुआवजे के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।जिला उद्यान पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि आम, लीची, अमरूद, पान, केला जैसी बहुवर्षीय फसलों को हुए नुकसान का भी आंकलन किया जा रहा है और प्रभावित किसानों को पूरी मदद दी जाएगी।इस तबाही से किसान वर्ग पूरी तरह से परेशान है। खेतों में लगी पूंजी और मेहनत कुछ ही मिनटों की आंधी-पानी में खत्म हो गई। कई किसानों का कहना है कि अगर जल्द राहत और मुआवजा नहीं मिला तो आगामी फसली तैयारी मुश्किल हो जाएगी।अब सभी की निगाहें सरकार और जिला प्रशासन पर टिकी हैं, जिससे कि समय पर राहत पहुंच सके और किसानों को दोबारा अपने खेतों में लौटने की उम्मीद मिल सके।