बेगूसराय। पुलिस ने एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए इसके सरगना समेत छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह बिहार समेत देश के विभिन्न राज्यों में साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम देता था। गिरोह के सदस्य पुलिस की नजरों से बचने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में मजिस्ट्रेट की गाड़ी का उपयोग कर रहे थे।आरोपियों ने पुलिस को बताया कि मजिस्ट्रेट लिखी गाड़ी से घूमने से टोल टैक्स बच जाता था और लोगों को आसानी से ठगा जा सकता था। सूचना मिलने पर पुलिस ने छापेमारी कर गिरोह के छह सदस्यों को दबोच लिया।
कैसे पकड़ा गया गिरोह?
मुफस्सिल थानाध्यक्ष अरविंद कुमार गौतम को सूचना मिली कि कोरिया चौक से वासुदेवपुर जाने वाली सड़क पर कुछ युवक पैसों के लेन-देन को लेकर झगड़ रहे हैं। वहां मजिस्ट्रेट लिखी एक कार भी खड़ी थी। एसपी के निर्देश पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची, लेकिन पुलिस को देखते ही आरोपी भागने लगे। पुलिस ने उन्हें घेरकर दबोच लिया।कार और आरोपियों की तलाशी में पुलिस को चेकबुक, पासबुक, एटीएम कार्ड और कई फर्जी दस्तावेज मिले। पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह गिरोह साइबर ठगी का बड़ा सिंडिकेट चला रहा था। गिरोह के सरगना कुंदन कुमार ने बताया कि वह प्रयागराज निवासी गोलू कुमार के साथ मिलकर यह गिरोह चला रहा था।
पैसे के बंटवारे को लेकर आपस में ही हो गई ठगी
गिरोह के सदस्य अलग-अलग बैंक खातों में ठगी कर भारी रकम इकट्ठा करते थे और फिर आपस में बांटते थे। बेगूसराय के राजीव रंजन कुमार और केशव कुमार के जरिए तीन खातों में करीब डेढ़ करोड़ रुपये मंगवाए गए थे। गिरोह के सदस्य इस पैसे के बंटवारे के लिए बेगूसराय पहुंचे थे, लेकिन बाद में पता चला कि प्रयागराज के गोलू ने पहले ही वह पैसा निकाल लिया है। इसी को लेकर गिरोह के सदस्यों में विवाद हो गया।
हत्या की साजिश, लेकिन पुलिस ने बचा लिया
विवाद इतना बढ़ गया कि कुंदन और स्वप्निल की हत्या की साजिश रची जाने लगी। पुलिस मौके पर नहीं पहुंचती तो दोनों की हत्या हो सकती थी और उनके शव को बूढ़ी गंडक नदी में फेंकने की योजना थी।जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जिन बैंक खातों में ठगी का पैसा भेजा गया था, उनके बारे में दिल्ली, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के साइबर पोर्टल पर शिकायतें दर्ज हैं। फिलहाल पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया है और आगे की जांच जारी है।
गिरोह का ठगी करने का तरीका
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गिरोह के सदस्य खुद को पुलिस या अफसर बताकर लोगों को फोन करते थे।वे मजिस्ट्रेट लिखी गाड़ी का इस्तेमाल कर खुद को सरकारी अधिकारी साबित करते थे।लोगों को डराकर डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाते थे, जिससे वे ठगी का शिकार हो जाते थे।गांव-गांव जाकर लोगों के बैंक खाते खुलवाते थे और 5000 रुपये महीना देनेकाझांसा देते थे।इन खातों में ठगी का पैसा मंगवाकर उसे तुरंत निकाल लेते थे।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान
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राजीव रंजन कुमार - वीरपुर, बेगूसरायकेशव कुमार - मोहम्मदपुर, बेगूसरायअभिमन्यु कुमार - वीरपुर, बेगूसरायकुंदन कुमार - सदा राजपुर, प्रयागराजस्वप्निल शर्मा - रानी मंडी, प्रयागराजसूर्यकांत ओझा - शाहपुर, भोजपुरकई बैंक खातों के पासबुक, चेकबुक और एटीएम कार्डफर्जी आईडी कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्डजीवन रस प्रिंट मीडिया का रिपोर्टर आईडी कार्डउत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी का फर्जी पहचान पत्रसाइबर ठगी से जुड़े कई दस्तावेजबरामद महिंद्रा वेरिटो कार (UP70CM-6093) प्रयागराज की मजिस्ट्रेट गीता त्रिपाठी के नाम पर रजिस्टर्ड थी। उनकी मौत के बाद उनके रिश्तेदार स्वप्निल कुमार इस कार का उपयोग कर रहा था।पुलिस ने इस गिरोह के खातों में जमा करीब 60 लाख रुपये फ्रीज कर दिए हैं और मामले की गहन जांच कर रही है।अब पुलिस गिरोह से मिले इनपुट के आधार पर देशभर में फैले इनके नेटवर्क को ध्वस्त करने की तैयारी कर रही है।