दुखद। समाचार है कि बिहार के मशहूर पहलवान 'बिहार केसरी' विवेकानंद सिंह का 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने पटना के आरोग्य अस्पताल में 2 अप्रैल की देर रात अंतिम सांस ली।विवेका पहलवान को 27 मार्च को हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। छह दिन तक इलाज के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और अंततः उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से खेल जगत और उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है।उनका अंतिम संस्कार बाढ़ के उमानाथ सती स्थान में किया जाएगा, जहां हजारों लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे।मोकामा के बाहुबली और पूर्व विधायक अनंत सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर विवेका पहलवान के निधन पर शोक व्यक्त किया है। हालांकि, एक समय दोनों के बीच गहरी दुश्मनी थी, जिसे बिहार की राजनीति और अपराध जगत में खूब चर्चा मिली थी।विवेका पहलवान ने मोकामा में अनंत सिंह को खुली चुनौती दी थी, और दोनों के बीच लंबे समय तक संघर्ष चला।
2004 में हुआ था जानलेवा हमला, विवेका पहलवान को हुई थी 10 साल की सजा
2004 में अनंत सिंह पर जानलेवा हमला हुआ था, जिसका आरोप विवेका पहलवान पर लगा था। इस मामले में विवेका पहलवान को 10 साल की सजा हुई थी। बताया जाता है कि नदमा गांव में अनंत सिंह के घर पर ताबड़तोड़ गोलियां चली थीं। उस समय अनंत सिंह अपने साथियों के साथ छत पर सो रहे थे, जब हमलावरों ने उन पर गोलियां चला दीं। इस हमले में अनंत सिंह को पीठ में गोली लगी थी, जो सीने तक पहुंच गई थी।घटना के बाद उनके भाई दिलीप सिंह उन्हें आनन-फानन में पटना ले गए और आलोक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। लेकिन अस्पताल में इलाज से पहले ही धमकी भरे फोन आने लगे कि अगर ऑपरेशन हुआ तो सबको मार दिया जाएगा। इसके बावजूद ऑपरेशन हुआ और अनंत सिंह छह दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे।
गैंगवार में दोनों पक्षों ने गंवाए कई करीबी
दोनों गुटों के बीच कई बार गैंगवार हुई, जिसमें अनंत सिंह और विवेका पहलवान दोनों ने अपने रिश्तेदार खोए।अनंत सिंह के बड़े भाई फाजो सिंह और विरंची सिंह की हत्या गैंगवार में हो गई थी।विवेका पहलवान के भाई संजय सिंह की भी हत्या इसी संघर्ष के दौरान हुई थी1995 के विधानसभा चुनाव के दौरान अनंत सिंह के घर पर हमला हुआ, जिसमें अंधाधुंध फायरिंग हुई थी। इस दौरान अनंत सिंह के बहनोई की भी मौत हो गई थी।दिलचस्प बात यह है कि अनंत सिंह और विवेका पहलवान आपस में रिश्तेदार थे, लेकिन इसके बावजूद दोनों के बीच कट्टर दुश्मनी थी। हालांकि, बाद के दिनों में दोनों के बीच सुलह हो गई थी।
नीलम देवी के चुनाव में विवेका पहलवान ने की थी मदद
बाद में, जब अनंत सिंह एके-47 मामले में जेल गए और उनकी विधायकी चली गई, तब मोकामा में उपचुनाव हुआ। इस चुनाव में अनंत सिंह ने अपनी पत्नी नीलम देवी को मैदान में उतारा। उस समय विवेका पहलवान ने अनंत सिंह का समर्थन किया, जिससे नीलम देवी चुनाव जीत गई थींअपने समय के दिग्गज पहलवान रहे विवेका पहलवान को 'बिहार केसरी' की उपाधि से सम्मानित किया गया था। कुश्ती में उनकी शानदार उपलब्धियों ने उन्हें बिहार का गौरव बनाया था।उनका पार्थिव शरीर उनके गांव नदमा लाया गया है, जहां उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं।