नौकरी । सऊदी अरब गया भागलपुर का एक युवक 14 साल बाद अपने घर लौट आया है। यह युवक एक सड़क हादसे के बाद दोषी करार दिया गया था, जिसके कारण उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और वह वतन वापसी के लिए 9 साल तक भटकता रहा। परिवार को जब इस बारे में पता चला तो वे परेशान हो गए और उसकी वापसी के लिए हरसंभव प्रयास करने लगे।अगस्त 2024 में अमीरुद्दीन के परिजनों की मुलाकात उदाकिशनगंज, मधेपुरा के एसडीओ एम जेड हसन से हुई। उन्होंने अपनी पूरी आपबीती एसडीओ को बताई, जिसके बाद एसडीओ ने सऊदी अरब में इंडियन एंबेसी में काम करने वाले अपने एक जानकार से संपर्क किया। इसके बाद एंबेसी ने अमीरुद्दीन से संपर्क किया और उसकी जानकारी इकट्ठा की। अंततः, एंबेसी ने उसकी जुर्माने की रकम माफ करवाई और उसे भारत भेजने के लिए फ्लाइट और ट्रेन की व्यवस्था की।
क्या हुआ था अमीरुद्दीन के साथ?
जगदीशपुर इलाके के सलेमपुर गांव के रहने वाले मोहम्मद अमरुद्दीन ने बताया कि साल 2011 में मुंबई की फजल इंटरप्राइजेज नाम की एजेंसी ने उसे नौकरी का ऑफर दिया और सऊदी अरब भेजा। वहां उसे रियाद से करीब 400 किलोमीटर दूर रफी अल जेम्स नाम की जगह पर ट्रक चलाने का काम दिया गया। शुरुआत में सब ठीक चला, लेकिन सितंबर 2013 में एक सड़क हादसा हो गया, जिसमें सऊदी का ही एक युवक घायल हो गया।मार्च 2014 में वहां की कोर्ट ने अमीरुद्दीन को दोषी करार दिया और उसे 14 महीने जेल की सजा सुनाई। 2015 में उसे जमानत तो मिल गई, लेकिन पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और 30 हजार रियाल (लगभग 6.85 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया गया। अमीरुद्दीन ने छोटे-मोटे काम करके इसे चुकाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। धीरे-धीरे जुर्माने की रकम बढ़कर 90 हजार रियाल (लगभग 20.54 लाख रुपये) हो गई। जुर्माना चुकाए बिना पासपोर्ट नहीं मिल सकता था, जिसके चलते वह करीब 9 साल तक सऊदी में भटकता रहा।
एजेंसी की लापरवाही पड़ी भारी
अमीरुद्दीन ने बताया कि जिस एजेंसी ने उसे सऊदी भेजा था, उसने वहां के ट्रांसपोर्ट नियमों का पालन नहीं किया था। न तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया गया था और न ही उस ट्रक का रजिस्ट्रेशन था, जिसे वह चला रहा था। इसी वजह से कोर्ट ने उसे दोषी माना और सजा दी।
परिवार की खुशी और भारत सरकार का धन्यवाद
बुधवार को जब अमीरुद्दीन भागलपुर पहुंचा, तो पूरे परिवार में खुशी का माहौल था। उसके पिता हाजी मोहम्मद कुतुबुद्दीन, जो कई सालों से किडनी और शुगर की बीमारी से जूझ रहे हैं, बेटे को देखकर भावुक हो गए। उन्होंने भारत सरकार और इंडियन एंबेसी का आभार व्यक्त किया।अमीरुद्दीन का कहना है कि अब वह अपने देश में ही काम करेगा और कहीं बाहर नहीं जाएगा। उसने कहा, "भारत जैसा कोई देश नहीं, अब यहीं रहकर मेहनत करूंगा और परिवार के साथ रहूंगा।"