डॉक्टरों। की हड़ताल से बिहार के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो गई हैं। पटना समेत पूरे प्रदेश में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने तीन दिनों के कार्य बहिष्कार की घोषणा की है, जिससे ओपीडी सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (BHSA) ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस, प्रशासनिक उत्पीड़न और कर्मचारियों की कमी को लेकर इस हड़ताल का ऐलान किया है। हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी, लेकिन ओपीडी बंद रहने से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।पटना के फुलवारी शरीफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने आई एक महिला ने बताया, "पर्ची नहीं कट रही है। मैं दर्द से परेशान हूं, लेकिन यहां आए तो पता चला कि हड़ताल चल रही है।" इसी तरह, राज्य के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
डॉक्टरों की मांगें
BHSA के प्रवक्ता डॉ. विनय कुमार ने कहा, "यदि तीन दिनों के कार्य बहिष्कार के बाद भी हमारी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो मजबूरन कड़ा कदम उठाया जाएगा।" डॉक्टरों की मुख्य मांगें हैं:सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनाआवास की सुविधागृह जिला में पोस्टिंगकार्य अवधि का निर्धारणप्रशासनिक हस्तक्षेप कम करनासंघ के अनुसार, कई बार सरकार से पत्राचार किया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला।शिवहर जिले में हड़ताल और भी उग्र हो गई है। डॉक्टरों का कहना है कि एक जिलाधिकारी की मीटिंग में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया, जिसकबादवहांके डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन OPD बहिष्कार का निर्णय लिया है। संघ ने साफ किया है कि अगर 29 मार्च तक समाधान नहीं निकला तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।सरकार और डॉक्टरों के बीच इस विवाद से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे पर ध्यान देना होगा ताकि स्वास्थ्य सेवाएं बहाल की जा सकें।