पटना। में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जेल में बंद आईएएस अधिकारी संजीव हंस से जुड़े मामले में बड़ी कार्रवाई की है। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत गुरुवार को पटना में सात स्थानों पर 20 घंटे तक चली छापेमारी में 11.64 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए। इसके साथ ही कई आपत्तिजनक दस्तावेज, संपत्तियों से जुड़े कागजात और डिजिटल साक्ष्य भी बरामद किए गए हैं।ईडी की जांच में कई वरिष्ठ अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर सबूत मिले हैं। इनमें ये नाम शामिल हैं:तारिणी दास - मुख्य अभियंता, भवन निर्माणविभागमुमुक्षुचौधरी - संयुक्त सचिव, वित्त विभागउमेश कुमार सिंह - कार्यपालक अभियंता, शहरी विकास और आवास विभागअयाज अहमद - उप परियोजना निदेशक, जायसवाल - डीजीएम (परियोजनाएं), बीएमएसआईसीएविकास झा - डीजीएम, बीएमएसआईसीएलसाकेत कुमार - एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, बिहार निर्माण विभाग।
रिश्वतखोरी और टेंडर घोटाले का खुलासा
ईडी की जांच में सामने आया है कि ये अधिकारी कई टेंडर में अनुकूल परिणाम देने और ठेकेदारों के बिलों को मंजूरी देने के बदले रिश्वत लेते थे। पटना के ठेकेदार रिशु श्री का भी इस मामले में नाम आया है, जिसने टेंडर और भुगतान की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धन का लेन-देन किया था।ईडी की कार्रवाई के बाद भवन निर्माण विभाग ने मुख्य अभियंता (उत्तर, संविदा) तारिणी दास का संविदा नियोजन रद्द कर दिया है। उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। उन पर बिना सक्षम स्तर से अनुमोदन लिए टेंडर रद्द करने का आरोप था, लेकिन उन्होंने शो-कॉज नोटिस का जवाब नहीं दिया।ईडी की छापेमारी अभी जारी है और इस मामले में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।