चैत्र। शुक्ल प्रतिपदा के शुभ अवसर पर आज से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो गई है। इस वर्ष नवरात्रि में रेवती नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिससे पूजा-पाठ का महत्व और अधिक बढ़ गया है।सुबह से ही श्रद्धालु मंदिरों में उमड़ पड़े। पटना सिटी के पटन देवी, शीतला माता और काली मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। माता का भव्य श्रृंगार किया गया, जिसके बाद दर्शन के लिए मंदिरों के पट खोले गए। भक्तों ने जयकारों के साथ माता का आशीर्वाद लिया और पूजा-अर्चना की।पटना देवी मंदिर में दर्शन करने आईं आरा की एक महिला श्रद्धालु ने बताया कि वह काफी समय से बीमार थीं। उन्होंने माता रानी से मन्नत मांगी थी कि यदि वे स्वस्थ हो जाएंगी तो नवरात्र के पहले दिन माता के दर्शन करने आएंगी। उनकी मन्नत पूरी हुई, इसलिए वे परिवार सहित पूजा-अर्चना के लिए आई हैं।
हाथी पर माता का आगमन, समृद्धि का संकेत
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस बार देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि हाथी पर आगमन से वर्षा अच्छी होती है और देश में सुख-समृद्धि व आर्थिक उन्नति होती है। नवरात्रि के दौरान विधिपूर्वक देवी दुर्गा की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।आज ही के दिन हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 की भी शुरुआत हो रही है। इस संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य होंगे, जिससे पूरे वर्ष शक्ति और ऊर्जा का प्रभाव रहेगा। ब्रह्म पुराण के अनुसार, सृष्टि की रचना भी आज ही के दिन हुई थी, इसलिए इस दिन को विशेष शुभ माना जाता है।श्रद्धालु इस दौरान उपवास रखते हैं। कुछ लोग निराहार रहकर पूजा करते हैं, तो कुछ फलाहार या फिर रात्रि में सात्विक भोजन ग्रहण कर मां दुर्गा की आराधना करते हैं।
नवरात्रि का समापन 7 अप्रैल को विजयादशमी पर
आचार्य राकेश झा ने बताया कि इस वर्ष चैत्र नवरात्र का समापन 7 अप्रैल, सोमवार को विजयादशमी के साथ होगा। नवरात्र का आरंभ और समापन सर्वार्थ सिद्धि योग में होने के कारण यह विशेष फलदायी होगा। इस दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करेंगे, जिससे भगवान भास्कर और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।पंडित झा ने देवी पुराण का हवाला देते हुए कहा कि नवरात्र में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि कलश में ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, नवग्रह, सप्तद्वीप, नदियां, सागर और सभी देवी-देवताओं का वास होता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, नवरात्र में कलश की पूजा करने से सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, पारिवारिक उन्नति और रोग-शोक का नाश होता है।नवरात्र की पावन बेला में श्रद्धालु पूरे उत्साह से माता की उपासना में लीन हैं। जय माता दी!