जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: बीजेपी की पहली लिस्ट जारी, 44 उम्मीदवारों में किश्तवाड़ से शगुन परिहार इकलौती महिला प्रत्याशी
दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में एक दशक बाद होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 44 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं, जिनमें से किश्तवाड़ से शगुन परिहार इकलौती महिला प्रत्याशी हैं। 25 अगस्त को दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद इस लिस्ट को जारी किया गया।
चुनाव की तारीखें और राजनीतिक महत्व
जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों के लिए 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक तीन चरणों में मतदान होगा, और नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। 370 हटाए जाने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, जिससे इसका राजनीतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
बीजेपी की पहली लिस्ट की मुख्य बातें
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चरणवार प्रत्याशियों का ऐलान: बीजेपी ने पहले चरण के लिए 15, दूसरे के लिए 10 और तीसरे चरण के लिए 19 उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए हैं।
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निर्मल सिंह का नाम गायब: पूर्व डिप्टी सीएम निर्मल सिंह का नाम इस लिस्ट में नहीं है। बिलावर से उनकी जगह सतीश शर्मा को टिकट दिया गया है।
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मुस्लिम उम्मीदवारों पर फोकस: इस लिस्ट में 44 में से 14 उम्मीदवार मुस्लिम हैं। इनमें से पुंछ हवेली से चौधरी अब्दुल गनी और अनंतनाग से सैयद वजाहत को टिकट दिया गया है।
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कश्मीर में पहली बार बड़ा दांव: बीजेपी ने इस बार कश्मीर घाटी में भी चार सीटों—अनंतनाग, पंपोर, शोपियां, और अनंतनाग वेस्ट—पर उम्मीदवार उतारे हैं, जो एक नया कदम माना जा रहा है।
बीजेपी की चुनावी रणनीति और अन्य पार्टियों की लिस्ट
बीजेपी ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई है, जबकि 20 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन दिया जाएगा। बीजेपी से पहले तीन पार्टियां—डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP), आम आदमी पार्टी (AAP), और बैन जमात-ए-इस्लामी—अपनी उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी हैं।
- DPAP: गुलाम नबी आजाद की पार्टी ने 13 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है।
- AAP: आम आदमी पार्टी ने सात उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं।
- जमात-ए-इस्लामी: इस बैन पार्टी के नेता 7 सीटों पर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
2014 से 2024: एक दशक की कहानी
आखिरी बार जम्मू-कश्मीर में 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। 2018 में यह गठबंधन टूट गया और उसके बाद से राज्य में कोई विधानसभा चुनाव नहीं हुआ। 2019 में धारा 370 हटने के बाद, राज्य का विभाजन कर दिया गया और इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। अब 2024 के चुनाव में राज्य की राजनीतिक दिशा एक बार फिर से तय होगी।
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