सिपाही बहाली पेपर लीक: पूर्व DGP सिंघल पर 10% कमीशन लेने का आरोप
पटना। सिपाही बहाली परीक्षा प्रश्नपत्र लीक मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें बिहार के पूर्व DGP और केंद्रीय चयन पर्षद के तत्कालीन अध्यक्ष एसके सिंघल पर गंभीर आरोप लगे हैं। आर्थिक अपराध इकाई (EOU) द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में इस बात का जिक्र है कि सिंघल ने प्रिंटिंग प्रेस से मोटी रकम कमीशन के रूप में ली थी। चार्जशीट के अनुसार, एसके सिंघल ने पटना की एक छोटी सी प्रिंटिंग प्रेस 'कालटेक्स मल्टीवेंचर' को 10% कमीशन लेकर प्रश्नपत्र छापने का ठेका दिया था। यह ठेका बिना किसी फिजिकल वैरिफिकेशन के दिया गया था, जो सरकारी नियमों के उल्लंघन का मामला है। EOU की जांच टीम सिंघल के जवाबों से संतुष्ट नहीं है और मामले में गहराई से पड़ताल कर रही है।
प्रिंटिंग प्रेस के निदेशकों ने किया खुलासा
इस मामले में ब्लेसिंग सेक्सयोर के निदेशक कौशिक कर और कालटेक्स के निदेशक सौरभ बंदोपाध्याय ने जांच अधिकारियों के समक्ष इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने 10% कमीशन देकर ठेका लिया था। दोनों ने बताया कि 2022 में मद्यनिषेध सिपाही भर्ती के दौरान इस डील की शुरुआत हुई थी। तत्कालीन अध्यक्ष से मुलाकात के बाद यह ठेका दिया गया और कालटेक्स के साथ एक साल का करार किया गया। इसके बाद 2023 में सिपाही बहाली का विज्ञापन जारी हुआ, जिसके लिए प्रश्नपत्र छपवाने का काम भी कालटेक्स को ही दिया गया था।
2021 में बनी कंपनी, 2022 में मिला प्रश्नपत्र छापने का ठेका
ब्लेसिंग सेक्योर प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कौशिक कर और मार्केटिंग प्रमुख सौरभ बंदोपाध्याय हैं। कौशिक पहले भी विवादों में घिरा रहा है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ था और उसे जेल भी जाना पड़ा था। इसके बाद उसकी कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। इसके बावजूद, 2022 में उसे सिपाही बहाली के प्रश्नपत्र छापने का ठेका दिया गया।
सिंघल की भूमिका पर सवाल
इस खुलासे के बाद एसके सिंघल की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रश्नपत्र लीक मामले में उनकी संलिप्तता को लेकर जांच एजेंसियां अब और सख्ती से जांच कर रही हैं। EOU ने कोर्ट में जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें यह भी बताया गया है कि किस प्रकार बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए ठेका दिया गया और मोटी रकम बतौर कमीशन ली गई।
मामले की गंभीरता बढ़ी
यह मामला बिहार पुलिस सिपाही भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल खड़ा कर रहा है, क्योंकि यह भर्ती प्रक्रिया लाखों उम्मीदवारों के भविष्य से जुड़ी हुई थी। प्रश्नपत्र लीक होने के कारण परीक्षा को रद्द करना पड़ा था, जिससे उम्मीदवारों को भारी नुकसान हुआ। अब इस मामले में पूर्व DGP का नाम सामने आने के बाद बिहार सरकार और चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इस प्रकरण में आगे की कार्रवाई और जांच से यह स्पष्ट होगा कि सिपाही बहाली के पूरे सिस्टम में किस स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त था। EOU इस मामले में शामिल अन्य अधिकारियों और व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच कर रही है।
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