कुवैत यात्रा से भारत-कुवैत संबंधों में नई दिशा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपनी कुवैत यात्रा को दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने और भविष्य के लिए एक ठोस रोडमैप तैयार करने का महत्वपूर्ण अवसर बताया। यह यात्रा कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के निमंत्रण पर हो रही है और दोनों देशों के ऐतिहासिक और सामरिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का उद्देश्य रखती है। प्रधानमंत्री ने रवानगी से पहले अपने वक्तव्य में कहा, "कुवैत के साथ हमारे ऐतिहासिक और गहरे संबंध हैं। हम केवल व्यापार और ऊर्जा में मजबूत साझेदार नहीं हैं, बल्कि पश्चिम एशिया में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि को लेकर भी हमारे साझा हित हैं।"
यात्रा के प्रमुख उद्देश्य
- संबंधों को मजबूत करना: इस यात्रा का उद्देश्य भारत और कुवैत के बीच सदियों पुराने संबंधों को और गहराई देना है।
- साझा हितों पर चर्चा: व्यापार, ऊर्जा और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी।
- भविष्य की साझेदारी का रोडमैप: दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक सहयोग को लेकर ठोस योजनाएं बनाई जाएंगी।
भारत-कुवैत संबंधों पर प्रकाश
- मजबूत व्यापारिक भागीदारी: भारत और कुवैत के बीच द्विपक्षीय व्यापार में ऊर्जा क्षेत्र प्रमुख भूमिका निभाता है। भारत कुवैत से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल आयात करता है।
- पश्चिम एशिया में साझेदारी: क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए दोनों देशों की सोच और रणनीतियां एक समान हैं।
- भारतीय समुदाय का योगदान: कुवैत में रहने वाला भारतीय समुदाय दोनों देशों के संबंधों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
आगे की संभावनाएं
प्रधानमंत्री की इस यात्रा से व्यापार, निवेश, ऊर्जा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नई गति मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा, कुवैत के साथ सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने इस यात्रा को ऐतिहासिक संबंधों को और सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास करार दिया है, जो आने वाले समय में भारत और कुवैत के बीच साझेदारी के नए आयाम खोलेगा।
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