नई दिल्ली में बिहार के नाटकों की धूम, गबर घिचोर में दिखा ग्रामीण जीवन, अंतिम दिन रश्मिरथी का मंचन
नई दिल्ली। श्री राम सेंटर ऑडिटोरियम में चल रहा पांच दिवसीय नाट्य महोत्सव अपने समापन की ओर है। बिहार की चर्चित नाट्य संस्था प्रवीण सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित इस नाटक महोत्सव को लेकर नाट्यप्रेमियों में खासा दर्शक उत्साह देखने को मिल रहा है। इसी कड़ी में 9 दिसंबर को भिखारी ठाकुर लिखित नाटक गबर घिचोर का मंचन किया गया। आयोजन के अंतिम दिन 10 दिसंबर को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर लिखित नाटक रश्मिरथी की प्रस्तुति की जाएगी। नाटक की प्रस्तुति शाम 6.30 से किया जा रहा है। गबर घिचोर नाटक में ग्रामीण जीवन को मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया गया। नाट्यप्रेमियों की भागीदारी को देखकर आयोजन समिति ने रश्मिरथी की प्रस्तुति को लेकर खुशी जाहिर की है। इस नाटक में मंच पर कर्ण की भूमिका हेमंत माहौर और कुंती का किरादार लक्ष्मी मिश्रा अदा कर रही हैं। वहीं इंद्र की भूमिका राजू मिश्रा और डॉ कुमार विमलेंदु सिंह, श्रीकुष्ण के रुप में मंंच पर होंगे। इसकी परिकल्पना एवं निर्देशन विजयेंद्र कुमार टांक द्वारा की जाएगी। रश्मिरथी महाकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित एक प्रसिद्ध काव्य है। यह काव्य महाभारत के भीष्म पर्व पर आधारित है, जिसमें कर्ण की जीवन गाथा को दर्शाया गया है। काव्य में कर्ण के संघर्ष, उसकी निष्ठा, और समाज के प्रति उसकी भूमिका को प्रमुखता से चित्रित किया गया है। प्रवीण सांस्कृतिक मंच की ओर से 35 सदस्ययों की टीम बिहार के वरिष्ठ रंग-निर्देशक विज्येंद्र टॉक के नेतृत्व में नाटयोत्सव में अपने अभिनय के दम पर लोगों का हतप्रभ कर रहे हैं। बिहार के चर्चित रंगकर्मी प्रवीण की स्मृति में प्रवीण सांस्कृतिक मंच द्वारा 13 वर्ष से लगातार रंगमंच को नया आयाम देने की कोशिश जारी है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि बिहार से किसी नाट्य संस्था ने देश की राजधानी दिल्ली में कोई महोत्सव आयोजित किया हो। बिहार की कला और लोकसंस्कृति की गूंज पूरे हिंदी भाषी रंगपटल पर एक अलग छाप छोड़ती है। खासकर बिहार की बिदेसिया नाट्य शैली देशभर में चर्चित है। बिहार की कई लोकनृत्य शैली यहां की गौरवशाली परंपरा की गवाह है।
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BIHAR - JHARKHAND
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