बिहार के रहने वाले हीरालाल ने अपनी चार बेटियों के साथ दिल्ली में किया खुदखुशी

छपरा का रहने वाला था पूरा परिवार

बिहार के रहने वाले हीरालाल ने अपनी चार बेटियों के साथ दिल्ली में किया खुदखुशी

पटना। दिल्ली के वसंत कुंज के रंगपुरी गांव में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहां एक पिता ने अपनी चार दिव्यांग बेटियों के साथ खुदकुशी कर ली। पुलिस को पड़ोसियों से मिली सूचना के बाद मौके पर पहुंचकर फ्लैट का दरवाजा तोड़ना पड़ा, जहां उन्होंने पांचों के शव बरामद किए। मरने वालों में 50 वर्षीय हीरालाल और उनकी बेटियां नीतू (18), निशि (15), नीरू (10), और निधि (8) शामिल हैं। सभी बेटियां दिव्यांग थीं और चलने-फिरने में असमर्थ थीं।

चारों बेटियां थीं दिव्यांग, मां की हो चुकी थी पहले ही मौत

हीरालाल की पत्नी की एक साल पहले कैंसर से मौत हो गई थी। परिवार बिहार के छपरा जिले के मशरख का रहने वाला था। हीरालाल वसंत कुंज के एक अस्पताल में कारपेंटर का काम करते थे, लेकिन जनवरी 2024 से उन्होंने काम पर जाना बंद कर दिया था। चारों बच्चियों की देखरेख का जिम्मा हीरालाल पर ही था। वे सुबह उन्हें खाना खिलाकर काम पर जाते थे और लौटने के बाद उनकी देखभाल करते थे।

खुदकुशी का कारण: बेटियों की दिव्यांगता को माना जा रहा है मुख्य वजह

पुलिस का कहना है कि सभी ने सल्फास खाकर खुदकुशी की है, हालांकि, कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। जांच में डस्टबिन से सल्फास के रैफर मिले हैं, जिससे यह पुष्टि होती है कि जहर का सेवन किया गया था। पुलिस का मानना है कि बेटियों की दिव्यांगता और अकेलेपन के कारण हीरालाल इस हद तक मानसिक तनाव में आ गए थे कि उन्होंने अपनी जान देने का फैसला किया।

पड़ोसियों की सूचना पर पहुंची पुलिस, चार दिन से किसी ने नहीं देखा था परिवार को

पड़ोसियों के अनुसार, चार दिनों से हीरालाल और उनकी बेटियों को किसी ने नहीं देखा था। घर से आ रही बदबू के बाद एक पड़ोसी ने पुलिस को फोन किया। पुलिस जब फ्लैट पहुंची तो दरवाजा तोड़ने के बाद भीषण बदबू के बीच शव बरामद किए। एक कमरे में हीरालाल का शव था, जबकि दूसरे कमरे में चारों बेटियों के शव पड़े थे।

हीरालाल की मानसिक स्थिति पर सवाल

हीरालाल पिछले कुछ समय से काफी रिजर्व रहने लगे थे और नौकरी परभी नहीं जा रहे थे। उनके बड़े भाई जोगिंदर, जो पास में ही रहते हैं, ने भी इस बात की पुष्टि की। हीरालाल की तीनों बेटियों का स्कूल जाना भी दो साल पहले बंद हो गया था। यह संदेह जताया जा रहा है कि बच्चों की देखभाल और पत्नी की मृत्यु के बाद हीरालाल मानसिक अवसाद में चले गए थे।

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BIHAR - JHARKHAND

 मैं पिछले 7 वर्षों से बिहार और झारखंड में पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हूँ। इस दौरान, मैंने पत्रकारिता के हर पहलू को गहराई से समझा है और इस क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है। बिहार और झारखंड की सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक घटनाओं पर गहरी नजर रखते हुए, मैंने इन दोनों राज्यों के विभिन्न मुद्दों को उजागर करने और लोगों तक सही और प्रामाणिक जानकारी पहुँचाने का प्रयास किया है।पत्रकारिता के इस सफर में, मैंने कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन हर बार मैंने उन्हें एक अवसर के रूप में लिया और अपने कार्य को न केवल एक जिम्मेदारी बल्कि एक सेवा के रूप में निभाया है। मेरा लक्ष्य हमेशा से ही यही रहा है कि जनता को सत्य और निष्पक्ष खबरें प्रदान की जाएं, ताकि वे जागरूक और सूचित रहें। मैंने इस दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाओं को कवर किया है, और अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की है। 

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