चुनाव आयोग ने रांची डीसी की नियुक्ति पर जताई आपत्ति, मुख्य सचिव को लिखा पत्र
रांची। भारतीय चुनाव आयोग ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मंजूनाथ भजंत्री को रांची के उपायुक्त (डीसी) नियुक्त किए जाने पर आपत्ति जताई है। आयोग ने इसे हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। पत्र में आयोग ने मुख्य सचिव से 2021 के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है, जिसमें भजंत्री को देवघर के तत्कालीन डीसी पद से हटाने और आयोग की अनुमति के बिना चुनाव से जुड़े किसी भी पद पर न रखने का निर्देश दिया गया था।
आयोग के निर्देश की अवहेलना
आयोग ने 6 दिसंबर 2021 को मंजूनाथ भजंत्री को देवघर डीसी के पद से हटाने का आदेश दिया था, साथ ही विभागीय जांच का भी निर्देश दिया था। इसका कारण था कि मधुपुर उपचुनाव के दौरान उन्होंने आयोग के वोटर टर्नआउट ऐप और प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलग-अलग आंकड़े पेश किए थे। इस विवाद के चलते भजंत्री को उनके पद से हटाया गया था, लेकिन आचार संहिता समाप्त होने के बाद उन्हें फिर से देवघर डीसी पद पर बहाल कर दिया गया। इस फैसले को लेकर आयोग ने आपत्ति जताई थी और इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट ने आयोग के फैसले को सही ठहराया
भजंत्री ने आयोग के इस फैसले को चुनौती देते हुए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सिंगल बेंच ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया था, लेकिन इसके बाद चुनाव आयोग ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। 30 सितंबर 2024 को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि आयोग का निर्देश सही था और इसका पालन राज्य सरकार को करना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि आयोग का आदेश संविधान के ढांचे का हिस्सा है और इसका पालन न करना संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन होगा।
भजंत्री से स्पष्टीकरण और सरकार की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने मधुपुर उपचुनाव में भजंत्री के कार्यों पर स्पष्टीकरण मांगा था। उन्होंने चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में सांसद निशिकांत दूबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसके बाद आयोग ने उनसे स्पष्टिकरण मांगा। जब संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो 6 दिसंबर 2021 को उन्हें डीसी पद से हटाने का आदेश दिया गया। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने उन्हें पद से नहीं हटाया, जिससे आयोग ने आपत्ति दर्ज की थी। आयोग के आदेश के बावजूद, राज्य सरकार ने 23 दिसंबर 2021 को कार्मिक विभाग के माध्यम से चुनाव आयोग को पत्र भेजकर आदेश वापस लेने की मांग की थी। सरकार ने तर्क दिया था कि आचार संहिता समाप्त होने के बाद आयोग को ऐसे आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है और इससे राज्य की संप्रभुता प्रभावित होती है।
मुख्य सचिव से 15 दिन में मांगी कार्रवाई रिपोर्ट
चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले पर मुख्य सचिव से 15 दिन के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। आयोग का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा बार-बार आयोग के आदेशों की अवहेलना की जा रही है, जो संविधान के प्रति अनादर का संकेत है।
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