जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के 51वें चीफ जस्टिस
नई दिल्ली। देश के 51वें चीफ जस्टिस बने जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष शपथ ग्रहण की। इससे पहले चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर्ड हो चुके हैं। 64 वर्षीय जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक होगा, यानी वे सिर्फ छह महीने इस पद पर रहेंगे। इस दौरान वे सुप्रीम कोर्ट के कुछ अहम मामलों, जैसे मैरिटल रेप, चुनावी बांड, समान नागरिक संहिता समेत अन्य मुद्दों पर सुनवाई करेंगे।
न्यायिक पृष्ठभूमि और परिवार की प्रेरणा
जस्टिस संजीव खन्ना का परिवार वकालत से जुड़ा रहा है। उनके पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे, जबकि उनके चाचा हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध जज थे। इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौरान जस्टिस हंसराज खन्ना ने सरकारी नीतियों का विरोध करते हुए अपने पद का बलिदान दिया था। इसी से प्रभावित होकर संजीव खन्ना ने भी 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और तीस हजारी कोर्ट से वकालत की शुरुआत की। बाद में वे दिल्ली सरकार के इनकम टैक्स और दीवानी मामलों के लिए सरकारी वकील बने।
सुप्रीम कोर्ट का सफर और विवादित नियुक्ति
2005 में जस्टिस संजीव खन्ना को दिल्ली हाईकोर्ट में जज के पद पर नियुक्त किया गया और 2019 में सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया। यह प्रमोशन विवादास्पद रहा क्योंकि उस समय वे वरिष्ठता सूची में 33वें नंबर पर थे। पूर्व CJI रंजन गोगोई ने उनके नाम की सिफारिश करते हुए उन्हें सुप्रीम कोर्ट के लिए उपयुक्त बताया था, जिसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस कैलाश गंभीर ने विरोध में राष्ट्रपति को चिट्ठी भी लिखी।
प्रमुख फैसले और उनकी भूमिका
जस्टिस खन्ना के सुप्रीम कोर्ट में 6 वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए। उन्होंने आर्टिकल 370, चुनावी बांड और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत देने जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले सुनाए हैं। हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने का समर्थन भी उन्होंने किया। सेम सेक्स मैरिज केस में व्यक्तिगत कारणों के चलते खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था, जो उनके लिए चर्चित घटना रही।
छह महीने में प्रमुख मामलों पर करेंगे सुनवाई
जस्टिस संजीव खन्ना के इस छोटे कार्यकाल में मैरिटल रेप, समान नागरिक संहिता, चुनावी बांड और अन्य संवेदनशील मामलों पर सुनवाई की अपेक्षा है।
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