रिश्वत मांगने के आरोप में NIA के डीएसपी अजय प्रताप सिंह गिरफ्तार
रॉकी यादव से 2.5 करोड़ रुपए की मांगी थी रिश्वत
19 सितंबर की छापेमारी: करोड़ों की नकदी और हथियार बरामद
यह मामला तब शुरू हुआ जब 19 सितंबर को एनआईए की टीम ने गया शहर के एपी कॉलोनी स्थित जदयू की पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी के घर पर छापेमारी की। एनआईए के डीएसपी अजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में इस छापेमारी में 4.3 करोड़ रुपए नगद और कई हथियार बरामद किए गए थे। इस छापेमारी ने उस वक्त काफी सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन मामला तब और गहराया जब मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव ने एनआईए के अधिकारियों पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया।
2.5 करोड़ की रिश्वत की मांग
रॉकी यादव, जो रमैया कंस्ट्रक्शन के मालिक हैं, ने आरोप लगाया कि एनआईए के डीएसपी अजय प्रताप सिंह ने उन्हें नक्सलियों से जुड़े मामलों में फंसाने की धमकी दी और उनसे 2.5 करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की। इस मामले में जब रॉकी यादव ने सीबीआई से शिकायत की, तो सीबीआई ने जांच शुरू की और यह पुष्टि की कि डीएसपी और उनके एजेंट रिश्वत लेने की कोशिश कर रहे थे।
सीबीआई की बड़ी कार्रवाई: रंगे हाथ गिरफ्तार
गुरुवार की देर रात, सीबीआई ने ऑपरेशन के तहत डीएसपी अजय प्रताप सिंह के दो एजेंटों को गया में 20 लाख रुपए की पहली किस्त लेते हुए गिरफ्तार किया। इसके साथ ही डीएसपी अजय प्रताप सिंह को पटना से गिरफ्तार किया गया। सीबीआई ने इस पूरे मामले की तह तक जाने के लिए डीएसपी के यूपी स्थित रिश्तेदारों के घरों पर भी छापेमारी की है।
राजनीतिक साजिश की आशंका
जदयू की पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी के पीए रविंद्र यादव ने इस पूरे मामले को लेकर एक नई दिशा में इशारा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनआईए की यह कार्रवाई राजद के एक बड़े नेता के इशारे पर की गई थी, ताकि मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव को फंसाया जा सके। उनका कहना है कि 2.5 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगकर एनआईए ने रॉकी यादव को नक्सल गतिविधियों में फंसाने और फिर राहत देने की पेशकश की थी।
सीबीआई की टीम में वरिष्ठ अधिकारी शामिल
इस छापेमारी और गिरफ्तारी में सीबीआई की टीम में 6 एसपी और 4 डीएसपी रैंक के अधिकारी शामिल थे, जो इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच कर रहे हैं।
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