रक्षा मंत्रालय ने पनडुब्बी और तारपीडो उपकरणों के लिए 2,867 करोड़ रुपये के अनुबंध पर किए हस्ताक्षर
दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों की ताकत बढ़ाने के उद्देश्य से 2,867 करोड़ रुपये के दो बड़े अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये अनुबंध डीआरडीओ-एआईपी प्रणाली के एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्लग के निर्माण और कलवरी-श्रेणी पनडुब्बियों पर इलेक्ट्रॉनिक हैवी वेट टॉरपीडो (ईएचडब्ल्यूटी) के एकीकरण के लिए किए गए हैं।
महत्वपूर्ण अनुबंध और उनके उद्देश्य
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एआईपी प्लग निर्माण और एकीकरण: मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई के साथ 1,990 करोड़ रुपये का अनुबंध हुआ। इस परियोजना का उद्देश्य पारंपरिक पनडुब्बियों की शक्ति को बढ़ाना और उनकी संचालन क्षमता को उन्नत करना है। डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित यह तकनीक आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है।
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ईएचडब्ल्यूटी का एकीकरण:
फ्रांस की नेवल ग्रुप के साथ 877 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया। यह परियोजना भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और नेवल ग्रुप, फ्रांस का संयुक्त प्रयास है। इसका उद्देश्य भारतीय नौसेना की कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बियों की मारक क्षमता में बढ़ोतरी करना है।
आत्मनिर्भर भारत में योगदान
एआईपी तकनीक डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित की गई है। इससे पारंपरिक पनडुब्बियों की प्रदर्शन क्षमता में सुधार होगा। इस परियोजना के तहत लगभग तीन लाख मानव दिवसों का रोजगार सृजित होने की संभावना है।
रक्षा सचिव की उपस्थिति में हस्ताक्षर
यह अनुबंध रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में संपन्न हुआ। मंत्रालय ने इसे भारतीय नौसेना के परिचालन क्षमताओं को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने वाला कदम बताया है।
भारतीय नौसेना की ताकत में बढ़ोतरी
इन नई तकनीकों के साथ भारतीय नौसेना की ताकत और संचालन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। एआईपी तकनीक और ईएचडब्ल्यूटी के एकीकरण से नौसेना की पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकेंगी और दुश्मन पर घातक हमले करने की क्षमता में इजाफा होगा। रक्षा क्षेत्र में ये अनुबंध भारतीय स्वदेशी तकनीक और वैश्विक साझेदारी का एक आदर्श उदाहरण हैं।
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