

दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम: 27 साल बाद भाजपा की शानदार वापसी, AAP और कांग्रेस को झटका
दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणाम ने राजनीति के नए समीकरण को उजागर किया है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने 27 साल बाद वापसी की है। चुनाव आयोग के मुताबिक, भाजपा ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है और 46 सीटों पर बढ़त बना रखी है, जिससे उसे कुल 48 सीटों के साथ जीत की ओर बढ़ते देखा जा रहा है। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है और 20 सीटों पर आगे है, जिससे उसकी कुल सीटें 22 हो गई हैं। कांग्रेस के लिए यह चुनाव खासा निराशाजनक रहा, क्योंकि उसे एक भी सीट नहीं मिली।
AAP के बड़े नामों को मिला झटका
इस चुनाव में सबसे बड़ी खबर यह है कि आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से चुनाव हार गए। इसके अलावा, उनके करीबी सहयोगी मनीष सिसोदिया भी जंगपुरा सीट से चुनाव हार गए हैं। हालांकि, दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज आतिशी ने कालकाजी सीट पर जीत दर्ज की है। वहीं, AAP के और एक प्रमुख मंत्री सत्येंद्र जैन भी हार का सामना कर चुके हैं। इन हारों ने AAP के लिए एक बड़ा झटका साबित किया है।
केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा ने अमित शाह से की मुलाकात
दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद, केजरीवाल को हराने वाले भाजपा उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात ने भाजपा के जश्न को और भी बढ़ा दिया। दिल्ली भाजपा मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं के बीच जश्न का माहौल है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम 7 बजे भाजपा हेडक्वार्टर पहुंचेंगे, जहां वह कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।
भा.ज.पा. का वोट शेयर बढ़ा, AAP को नुकसान
भा.ज.पा. के लिए यह चुनाव बहुत फायदेमंद साबित हुआ है। भाजपा को पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले वोट शेयर में 9% से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। वहीं, AAP को इस चुनाव में 10% से ज्यादा का नुकसान हुआ है। कांग्रेस को भले ही कोई सीट नहीं मिली, लेकिन उसे वोट शेयर में 2% का मामूली इजाफा हुआ है।
सीटों का बड़ा बदलाव
पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले भाजपा की 40 सीटों में बढ़ोतरी हुई है, वहीं आम आदमी पार्टी को 40 सीटों का भारी नुकसान हुआ है। कांग्रेस, जो पिछली बार भी कुछ सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करने में सफल रही थी, इस बार भी पूरी तरह से खाली हाथ रही। यह परिणाम दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव का संकेत दे रहे हैं।
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BIHAR - JHARKHAND
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