कृषि भारत के लिए केवल एक आर्थिक गतिविधि नहीं बल्कि करोड़ों परिवारों के लिए आजीविका : शिवराज सिंह चौहान
दिल्ली। BRICS देशों के कृषि मंत्रियों की 15वीं बैठक में भारत ने समावेशी, न्यायसंगत और सतत कृषि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर छोटे और सीमांत किसानों को वैश्विक कृषि रणनीति के केंद्र में रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “भारत के लिए कृषि केवल आर्थिक गतिविधि नहीं, बल्कि करोड़ों परिवारों की आजीविका, भोजन और गरिमा का स्रोत है।
जब तक छोटे किसानों को संरक्षित और सशक्त नहीं किया जाएगा, तब तक वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास का लक्ष्य अधूरा रहेगा। दुनिया भर के 510 मिलियन छोटे किसान वैश्विक खाद्य प्रणाली की नींव हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन, मूल्य अस्थिरता और संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों के बीच वे सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
उन्होंने कहा, “हम उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकते, उन्हें हमारी नीतिगत मदद और संरचनात्मक सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने क्लस्टर आधारित खेती, एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन), सहकारी मॉडल और प्राकृतिक खेती को छोटे किसानों के सामूहिक सशक्तिकरण और बाजार तक उनकी पहुंच का मजबूत माध्यम बताया।
COVID-19 के दौरान भारत का मॉडल
केंद्रीय मंत्री ने भारत की सार्वजनिक खाद्य भंडारण व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सराहना करते हुए कहा कि इन प्रणालियों ने संकट काल में भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त राशन वितरण को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया।
तकनीक और नवाचार: भविष्य की राह
भारत की तकनीकी पहलों – डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, एग्री-स्टैक, ड्रोन तकनीक और क्लाइमेट रेजिलिएंट विलेजेज का उल्लेख करते हुए चौहान ने बताया कि इन नवाचारों से योजनाओं की पहुंच, पारदर्शिता और किसानों की आय में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।
उन्होंने ‘लखपति दीदी’ और ‘ड्रोन दीदी’ जैसी पहलों का भी उल्लेख किया, जो ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा, “भारत के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण केवल कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक मिशन है।
बैठक के अंत में शिवराज सिंह चौहान ने BRICS देशों को ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2025’ और ‘वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंटरटेनमेंट समिट 2025’ में भाग लेने का निमंत्रण दिया, ताकि नवाचार, साझेदारी और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा मिल सके।
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